



IPL में गुरूवर रात हुए मैच के बाद कोलकाता में यशस्वी नाम का तूफान आ गया था और जिसने आईपीएल का इतिहास पलट दिया। दरअसल, कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ मुकाबले में यशस्वी जायसवाल ने आईपीएल की फास्टेड फिफ्टी बनाकर इतिहास रच दिया। जिसकी चारों तरफ चर्चा है। यशस्वी के लिए ये काम आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत की बदौलत ये मुकाम हासिल किया है। जानें कैसे फर्श से अर्श पर पहुंचे यशस्वी जायसवाल।
उत्तर प्रदेश के भदोई के रहने वाले यशस्वी जायसवाल का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर काफी कठिन रहा है। इसके लिए उन्हें कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। भदोई में जम्ने यशस्वी जायसवाल को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। इसे आगे बढ़ाने के लिए उनके पिता ने उन्हें मुंबई भेज दिया। उनके पिता बेहद गरीब थे ऐसे में उन्होंने यशस्वी के रहने का इंतजाम एक तबेले में करवा दिया। वहां पर यशस्वी सुबह उठकर तबेले का काम करते थे और बाद में क्रिकेट की प्रेक्टिस। यशस्वी को कुछ समय बाद तबेले के मालिक ने निकाल दिया जिसके बाद वे वहां पर मुस्लिम युनाटेड क्लब के टेंट में रहने लगे जहां बिजली तक नहीं थी ना ही टॉयलेट। उस टेंट में उस मुस्लिम ग्राउंड्समैन के साथ यशस्वी ने तीन साल गुजारे। इस दौरान उनके द्वारा गोलगप्पे और चाट का ठेला लगाने की भी कहानियां हर तरफ वायरल है। हालांकि उनके कोच ज्वाला सिंह के मुताबिक यशस्वी ने कभी भी ठेला नहीं लगाया वे कभी-कभी गोलगप्पे बेचने वालों की मदद कर देते थे।
आजाद मैदान में ग्राउंड्समैन के साथ प्रेक्टिस करने के दौरान यशस्वी जायसवाल को कोच ज्वाला सिंह मिले। उन्होंने इस युवा खिलाड़ी की जिंदगी बदल दी। वे यशस्वी के टेलैंट को पहचान चुके थे। उन्होंने 10 साल तक उसे अपने घर पर ही रखा। कोच ने जायसवाल को क्रिकेट किट दिलाई और नए जूते भी दिलाए। उन्होंने एक बार अपने खर्च पर जायसवाल को तकनीक में सुधार के लिए इंग्लैंड भी भेजा था। वे यशस्वी को अपने बेटे जैसे ही मानते थे। इतना ही नहीं, मुंबई में जिस क्रिकेट ग्राउंड पर कोचिंग तो करते थे, लेकिन उसके बाद उसी स्टेडियम के बाहर अपने पिता के साथ गोलगप्पे बेचते थे।

Author: Knn Media
Media team