



उज्जैन – मध्यप्रदेश की मोहन सरकार अब महाकाल नगरी व महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी उज्जैन का नाम बदलकर प्राचीन नाम उज्जयिनी करने की कवायद कर रही है। साथ ही जैन मुनि प्रज्ञासागर जी महाराज की पहल पर उज्जयिनी अभिनंदन ग्रंथ बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह पहली बार होगा, जहां महाकाल नगरी उज्जैन के नाम पर दुर्लभ उज्जयिनी अभिनंदन ग्रंथ भी तैयार हो रहा है, यह शोध के लिए महत्वपूर्ण आधार बनेगा। इसे दो हजार पन्नों में तैयार किया जाएगा, जिसमें देश के बड़े विद्वानों के लेख होंगे। सबसे महत्वपूर्ण का विषय यह है कि यह ग्रंथ जैन धर्म और वैदिक धर्म पर आधारित होगा। इस ग्रंथ में दो खंड होंगे। एक जैन परम्परा का और दूसरा वैदिक परंपरा पर आधारित होगा। इसके लिए हाल ही में 4 और 5 मई को एक बैठक भी हुई थी। जिसमें संपादक मंडल में इंदौर, वाराणसी, नागपुर, जयपुर, भोपाल के विद्वान शामिल किए गए हैं। इस ग्रंथ में उज्जैन का प्राचीन इतिहास नए कलेवर और आकर्षण के साथ संग्रहित होगा। ग्रंथ के प्रधान संपादक इंदौर निवासी प्रो. अनुपम जैन है।
दरअसल, पहले के समय में उज्जैन का नाम उज्जयिनी था, लेकिन बाद में यह उज्जैन हो गया। अब मोहन सरकार भी इस ग्रंथ के सृजन में रुचि ले रही है। और इसी के तहत उज्जैन का नाम बदलने पर भी विचार किया जा रहा है। वहीं, प्रदेश सरकार के पास उज्जैन के कई विद्वानों के प्रस्ताव भी पहुंचे है, जिसमें नाम उज्जयिनी करने का सुझाव दिया गया है। वहीं, उज्जैन जिले के अंतर्गत महिदपुर स्थित अश्विनी शोध संस्थान ने उज्जैन का प्रतीक चिह्न जारी करने का प्रस्ताव भेजा है।

Author: Knn Media
Media team