नई दिल्ली- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया। भागवत ने कहा कि किसी को भी खुद को भगवान घोषित नहीं करना चाहिए। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कार्यकर्ताओं को सलाह दी है कि वे यह न समझें की वह भगवान बन गए हैं। विचार की गहराई काम की ऊंचाई को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि यह लोगों को तय करने दें कि क्या आप में भगवान हैं या नहीं? आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि हमें सुलगने के बजाय बिजली की तरह चमकना चाहिए, लेकिन बिजली गिरने के बाद पहले से भी ज्यादा अंधेरा हो जाता है। इसलिए कार्यकर्ताओं को बिजली नहीं, बल्कि दिए की तरह जलना चाहिए। जब जरूरी हो तब चमकें, लेकिन ध्यान रखें कि जब यह चमकेगा तो आपके सिर पर नहीं चढ़ेगा।
मणिपुर में मौजूदा स्थिति के बारे में भागवत ने कहा कि मौजूदा संघर्ष ने मणिपुर को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई है और शांति भंग हुई है। स्थानीय लोगों और यहां तक कि वहां काम करने वाले बाहरी लोगों के लिए भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। ऐसे चुनौतीपूर्ण स्थिति में आरएसएस के स्वयंसेवक युद्ध स्तर पर लोगों की मदद कर रहे हैं। आरएसएस नियमित रूप से स्थानीय युद्धरत गुटों के साथ बातचीत कर रहा है और उनका विश्वास जीतने की कोशिश कर रहा है। आरएसएस के लोग वहां डटे हुए हैं, भागे नहीं हैं।
भागवत ने कहा कि देशभक्ति और विविधता देश की ताकत हैं। उन्होंने कहा कि देशभक्ति कभी-कभी सो जाती है। सभी को याद रखना चाहिए कि एक राष्ट्र के रूप में हम एक हैं और यह भावना महत्वपूर्ण है। हमें ऐसे कार्यकर्ताओं की जरूरत है जो राष्ट्रीय प्रतीकों के जीवन से प्रेरणा लें और अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। भागवत मणिपुर में बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने वाले और भैयाजी के नाम से लोकप्रिय शंकर दिनकर काणे की शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
Author: Knn Media
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