साध्वी हर्षा रिछारिया पर क्यों भड़के शंकराचार्य, बोले- महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता मायने नहीं रखती, बल्कि…

प्रयागराज के महाकुंभ में चर्चा का विषय बनी मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया को लेकर अब एक नया विवाद शुरू हो गया है। विवाद हर्षा को महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में शामिल कराने और महामंडलेश्वर के शाही रथ पर बिठाए जाने को लेकर हुआ है। यह बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को बिल्कुल भी रास न आई। उन्होंने इसे लेकर सवाल उठाए हैं।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना पूरी तरह गलत है। यह विकृत मानसिकता का नतीजा है। महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देख जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि जो अभी यह नहीं तय कर पाया है कि संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना उचित नहीं है। श्रद्धालु के तौर पर शामिल होती तब भी ठीक था, लेकिन भगवा कपड़े में शाही रथ पर बैठाना पूरी तरह गलत है।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन के प्रति समर्पण होना जरूरी होता है। महाकुंभ में चेहरे की खूबसूरती नहीं, बल्कि मन की खूबसूरती देखी जानी चाहिए थी। जिस तरह पुलिस की वर्दी सिर्फ पुलिस में भर्ती लोगों को मिलती है, इस तरह भगवा वस्त्र सिर्फ सन्यासियो को ही पहनने की अनुमति होती है।

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Author: Knn Media

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