WU19 T20 WC final : बिटिया का फाइनल है, बिजली का भरोसा नहीं…मां ने पाई-पाई जोड़ खरीद लिया इन्‍वर्टर

हाइलाइट्स

भारत और इंग्‍लैंड के बीच रविवार को होगा फाइनल मुकाबला
ऑफ स्पिनर अर्चना की मां ने मैच देखने के लिए किया जुगाड़

नई दिल्‍ली. अंडर-19 महिला टी20 वर्ल्‍ड कप (WU19 T20 WC final) का खिताब जीतने के लिए भारतीय टीम (Team India) रविवार को इंग्‍लैंड (England) से टकराएगी. साउथ अफ्रीका में हो रहे टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले पर करोड़ों लोगों की नजरें टिकी होंगी. इन्‍हीं में एक हैं सावित्री देवी. सावित्री टीम इंडिया में शामिल बॉलिंग ऑलराउंडर अर्चना (Archana Devi) की मां हैं. उन्‍हें भी बेटी के मुकाबले का बेसब्री से इंतजार है. बेटी को खेलता देखने में कोई रुकावट न आए, इसके लिए उन्‍होंने एक-एक पाई जोड़कर इन्‍वर्टर खरीदा है.

18 साल की अर्चना यूपी के जिले उन्‍नाव के एक छोटे से गांव रतई पुरवा की रहने वाली हैं. इस गांव में बिजली आने से ज्‍यादा जाती है. सावित्री फाइनल मैच अपने स्‍मार्टफोन पर देखना चाहती हैं, जो उन्‍हें अर्चना ने साउथ अफ्रीका जाने से पहले दिलाया था. पूरा मैच देखने के लिए मोबाइल का चार्ज होना भी जरूरी है. सावित्री इस समस्‍या को समझती थीं और उन्‍होंने इसका हल भी तलाश रखा था. उन्‍होंने अपनी मेहनत को कामयाब होता देखने के लिए रुपये जोड़कर इन्‍वर्टर खरीद लिया है.

सावित्री ने इंडियन एक्‍सप्रेस से बात करते हुए कहा, “हमारे गांव में बिजली की कोई गारंटी नहीं है. इसलिए मैंने इन्वर्टर खरीदने के लिए पैसे इकट्ठे किए. मेरी बेटी विश्व कप फाइनल खेलने वाली टीम में है और हम बिना किसी रुकावट के अपने मोबाइल फोन पर मैच देखना चाहते हैं.”

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मां ने दूध बेचकर बेटी को बढ़ाया आगे

दाएं हाथ की ऑफ स्पिनर अर्चना और उनकी मां सावित्री का जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा है. आज भी पूरा परिवार एक कमरे के छप्पर वाले घर में रहता हैं. 4 साल की उम्र में अर्चना के सिर से पिता का साया उठ गया. इसके कुछ वक्‍त बाद ही सावित्री ने अपना बेटा भी खो दिया. अर्चना के छोटे भाई को सांप ने काट लिया, जिससे उसकी मौत हो गई. पति और बेटे के सदमे से टूट चुकी सावित्री ने हिम्‍मत जुटकार बेटी को आगे बढ़ाने का फैसला किया. उन्‍होंने गाय का दूध बेच और खेती कर घर का खर्च चलाया.

पैसों की तंगी दूर न हुई तो उन्‍होंने अर्चना को कस्‍तूरबा गांधी आवासीय स्‍कूल में भेज दिया, ताकि मुफ्त पढ़ाई के साथ अच्‍छा खाना भी मिल जाए. इसके लिए उन्‍हें लोगों के ताने भी सुनने पड़े. कस्‍तूरबा गांधी में अर्चना की प्रतिभा को सबसे पहले उनकी फिजिकल एजुकेशन टीचर पूनम ने पहचाना और उन्‍हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. अर्चना 13 साल की उम्र में क्रिकेट सीखने कानपुर आईं. वहां उन्‍हें कुलदीप यादव के कोच रहे कपिल पांडे ने खेल के गुर सिखाए.

Tags: BCCI, Shefali Verma, Under 19 World Cup, Women cricket

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